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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Thu ,06 Apr 2017 08:04:54 pm |
नई दिल्ली: तवांग जाने के रास्ते बोमडिला तक पहुंचने के साथ ही चीन ने दलाई लामा के सप्ताह भर के अरुणाचल दौरे पर अपना विरोध तेज करते हुए भारत के साथ रिश्तों पर प्रतिकूल असर पड़ने की चेतावनी फिर जारी की और पेइचिंग में भारतीय राजदूत विजय गोखले को विदेश मंत्रालय में बुलाकर चीन का कड़ा विरोध पत्र सौंपा। चीन की इस कड़ी नाराजगी पर प्रतिक्रिया देते हुए यहां विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने एक दिन पहले का अपना बयान दोहराया और कहा कि दलाई लामा के अरुणाचल दौरे पर चीन किसी तरह का कृत्रिम विवाद नहीं खड़ा करे।
प्रवक्ता ने कहा कि दलाई लामा एक सम्मानित धार्मिक नेता हैं और इसके पहले 6 बार अरुणाचल प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। उधर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि सीमा के पूर्वी हिस्से को लेकर चीन का रुख तर्कपूर्ण और स्पष्ट है। उन संवेदनशील और विवादास्पद इलाकों में दलाईलामा के दौरे की व्यवस्था से न सिर्फ तिब्बत के मुद्दे से जुड़ी भारतीय पक्ष की प्रतिबद्धता पर विपरीत असर पड़ेगा बल्कि सीमा क्षेत्र को लेकर विवाद भी बढ़ेगा।
भारत के गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि भारत कभी चीन के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता। वह एक चीन नीति का सम्मान करता है। दलाई लामा का अरुणाचल प्रदेश का दौरा पूरी तरह धार्मिक है।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि पूर्व के प्रधानमंत्रियों से इतर नरेंद्र मोदी का दलाई लामा के प्रति अलग ही रुख है। वह चीन के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं।
अखबार यह मानता है कि भारत परमाणु आपूर्ति समूह (एन.एस.जी.) की सदस्यता और पाक आतंकी मसूद अजहर के मुद्दे पर चीन से निराश है। इसलिए वह तिब्बत कार्ड खेल रहा है।
दलाई लामा ने कहा कि भारत ने उन्हें कभी चीन के विरुद्ध इस्तेमाल नहीं किया है। यदि चीन उन्हें राक्षस समझता है तो वह इसकी परवाह नहीं करते। उन्होंने कहा कि वह चीन से आजादी नहीं मांग रहे बल्कि चीन से अर्थपूर्ण भूमिका की अपेक्षा करते हैं। उन्होंंने कहा कि मैं प्राचीन भारतीय विचारों का दूत हूं।
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