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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Tue ,04 Apr 2017 07:04:13 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - कोडरमा के लोगों के लिए बनाया गया शहरी पेयजलापूर्ति योजना गर्मी के शुरुआत में ही फेल साबित होता दिख रहा है। इस योजना के तहत जिले के आधी से ज्यादा आबादी पानी के लिए बेचैन है वही विभाग अपने सिस्टम के पुराने होने और बिजली की कमी का रोना रो रहा है। साल 1970 में जब कोडरमा के झुमरी तलैया शहर की आबादी तकरीबन तीस हजार थी तब इस एक मात्र पानी टंकी का निर्माण किया गया था। बढ़ती आबादी को देखते हुए 2011 में अर्जुन मुंडा की सरकार के समय झुमरीतिलैया के लिए शहरी पेयजल आपूर्ति योजना का शिलान्यास किया गया। इस योजना के तहत करोड़ों की लागत से शहर में चार नए जलमीनार बनाए गए। चार नए जलमीनार के बावजूद भी लोगों को आज पानी के लिए एक दूसरे से लड़ना पड़ रहा है जद्दोजहद करना पड़ रहा है।
कभी-कभी यह बातें सुनने को मिलती है कि हो न हो अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा। विश्व युद्ध की बात तो दूर है लेकिन जो कोडरमा के झुमरी तिलैया में स्थिति दिख रही है वह भी किसी विश्वयुद्ध से कम नहीं। झुमरीतिलैया के हर मोहल्ले हर वार्ड में यह तस्वीर आम है। लोग हर रोज पानी के लिए एक दूसरे से लड़ते दिखते हैं और कुछ ऐसा आज भी दिख रहा है।
अचानक से गर्मी ने दस्तक दे दी है और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोडरमा के झुमरी तिलैया शहर में तकरीबन 1604 चापानल लगाए गए हैं जिनमें आधा से ज्यादा बेकार पड़े हैं। कुएं और तालाब की स्थिति भी गर्मी के शुरुआती दिनों में बदतर हो गई है। आलम यह है कि लोग शहरी जलापूर्ति पर ही निर्भर हैं लेकिन इनके लिए बनाया गया शहरी जलापूर्ति योजना भी निकम्मा साबित हो रहा है। बहरहाल फेल होती झुमरीतिलैया के शहरी पेयजलापूर्ति योजना के लिए विभाग के पास भी कोई ठोस जवाब नहीं है। विभाग के एसडीओ मुजब्बीर रहमान की मानें तो सिस्टम नई शहरी पेयजल आपूर्ति योजना के लिए अपडेट नहीं है साथ ही बिजली की अनियमित आपूर्ति नियमित जलापूर्ति के लिए बाधक है।
अब ऐसे में सवाल उठता है की जिस शहर की आबादी की प्यास बुझाने के लिए शहरी जलापूर्ति योजना लाई गई करोडो खर्च किये गए बावजूद लोगो की हलक सूखे है तो इसके लिए जिम्मेवार कौन है
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