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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Mon ,27 Mar 2017 07:03:42 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान वित्तीय वर्ष में एक लाख 48 हजार 312 करोड़ में से पैंतीस हजार तेरह करोड़ का उपयोग सरकार ने नहीं किया। 24 हजार 455 करोड़ सरेंडर किया गया। 15,913 करोड़ रुपये अंतिम दिन में सरेंडर किये गये। 29,400 करोड़ के उपयोगिता प्रमाण पत्र मार्च 2016 तक जमा नहीं किये गए।
पटना में वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे पटना विश्व का छठा सबसे प्रदुषित शहर बन चुका है। 12,074 करोड़ के डीसी बिल समाहित नहीं किये गये। मुख्यमंत्री के सात निश्चय में से एक हर घर नल का जल कार्यक्रम पर भी सीएजी ने सवाल खड़े किए।
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री के सात निश्चय के अंतर्गत अगले 5 वर्षों में हर घर नल का जल कार्यक्रम शुरू किया गया था और ग्रामीण बसावटों में पाइप से जलापूर्ति योजना शुरू किया जाना था। एक साल बीत जाने के बाद भी जलापूर्ति योजना को धरातल की सरजमीं पर लाने के लिए ढांचा विकसित नहीं किया जा सका।
बिहार में पाइप जल अच्छादन छह प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय औसत 41% प्रतिशत है। बिहार में 94 प्रतिशत घर नल के जल से वंचित हैं। आर्सेनिक फ्लोराइड से प्रभावित जनसंख्या को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध करवाने में सरकार असफल रही। नतीजा यह हुआ कि 609 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी 4.67 लाख लोग आर्सेनिक प्रभावित, 16.51 लाख फ्लोराइड प्रभावित और 79.06 लाख लोग आयरन युक्त पानी पीने को मजबूर हैं।
पटना विश्व के छठे प्रदुषित शहरों में शुमार है। पटना में वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है। 1 अप्रैल 2011 को 2 लाख 34 हजार वाहन थे जो 31 मार्च 2016 तक बढ़कर 6,76,000 हो गए। नतीजा यह हुआ कि इंस्पायर रेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर की प्रति घन मीटर 7 माइक्रोग्राम के मान सीमा के विरुद्ध कई अवसरों पर 280 माइक्रोग्राम प्रदूषण का स्तर पाया गया
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