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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Mon ,27 Mar 2017 06:03:58 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - बिहार में एक बार फिर भोज की सियासत शुरू हो गई है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 8 साल बाद भाजपा नेताओं को भोज पर आमंत्रित किया है खास बात यह है कि भाजपा की तरफ से भी कुछ नेता को छोडकर बाकी सभी भोज में शामिल होने को लेकर हरी झंडी दे दी गई है। भोज के निमंत्रण के बाद बिहार में कई सियासी समीकरण का गणित बैठाया जा रहा है कि आखिर अचानक भोज का मतलब क्या है।
गौरतलब है कि 2009 के सितंबर माह में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को लेकर भोज कैंसिल कर दिया गया था इसबार बजट सेशन के दौरान मुख्यमंत्री ने 27 मार्च को विधानसभा और विधानपरिषद के सदस्यों को खाने का न्यौता दिया है और इसपर बीजेपी विधायकों के बीच असमंजस की स्थिति हो गयी की भोज में शामिल हो या नहीं सुशील मोदी और बीजेपी प्रवक्ता विनोद नारायण झा ने स्थिति स्पष्ट कर दिया कि यह विधायकों को निमंत्रण है और उसमें शामिल होना चाहिए
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार सिंह ने कहा है कि यह राजनीतिक भोज है और मुख्यमंत्री की ओर से तमाम राजनीतिक पार्टियों को निमंत्रण मिला है जदयू प्रवक्ता ने इशारों में कहा कि भोज से दूरियां घटती हैं। जदयू प्रवक्ता प्रवक्ता ने कहा कि राजनीति में मतभेद होना चाहिए मनभेद नहीं होना चाहिए। हालांकि जदयू के दूरियों कें घटने के बयान के बाद इस बात की चर्चा जोरो पर है कि कौन सी दूरी घटाने का काम जदयू करना चाह रही है।
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