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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Tue ,21 Mar 2017 10:03:11 am |
समाचार नाऊ ब्यूरो रांची: झारखण्ड सरकार एक तरफ निवेश को लेकर परेसान है लेकिन वही झाखंड में काम कर रही कंपनिया सरकार से नाराज है सोलर पावर प्लांट लगानेवाली कंपनियों की दर को लेकर गठित अंतर मंत्रालय समूह की सोमवार को हुई बैठक में एक कंपनी एक्मे ने अपनी परियोजना वापस करवाने की गुहार लगायी. कंपनी के प्रतिनिधि ने स्पष्ट रूप से कहा कि एक वर्ष से पावर परचेज एग्रीमेंट नहीं हो रहा है. सभी कंपनियों का 750 करोड़ रुपये फंसा हुआ है. इस पर ब्याज लग रहा है. सरकार हमारी बैंक गारंटी वापस करे दे
कंपनी द्वारा अंतर मंत्रालय समूह को लिखित ज्ञापन भी दिया गया. प्रोजेक्ट भवन सभागार में राज्य में एग्रीमेंट कर चुके सोलर पावर प्लांट कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक बुलायी गयी थी. अंतर मंत्रालय समूह के अध्यक्ष मंत्री सरयू राय हैं. साथ में मंत्री अमर बाउरी व रणधीर सिंह सदस्य हैं. बैठक में ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके श्रीवास्तव, उद्योग सचिव सुनील बर्णवाल, भू-राजस्व सचिव केके सोन, जेरेडा के परियोजना निदेशक निरंजन कुमार समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे. वहीं, कंपनियों में एक्मे सोलर होल्डिंग प्रा. लि., अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड,कार्वी सोलर पावर लिमिटेड, माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड, ओपीजी पावर जेनरेशन प्रा. लिमिटेड,रिन्यू सोलर पावर प्रा. लिमिटेड व सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
सरकार की घोषणा के बावजूद बिजली वितरण निगम लिमिटेड नहीं कर रहा पावर परचेज एग्रीमेंट
कंपनियों ने मंत्रालय समूह से कहा कि उनका चयन लोवेस्ट रेट बिडिंग के आधार पर किया गया था. सरकार की घोषणा के बावजूद बिजली वितरण निगम लिमिटेड पावर परचेज एग्रीमेंट नहीं कर रहा है. इस वजह से 1101 मेगावाट की सोलर पावर परियोजना फंसी हुई हैं. सभी कंपनियों ने अपना बैंक गारंटी भी जमा कर दिया है, जो लगभग 750 करोड़ रुपये है. इस राशि का ब्याज भी देना पड़ रहा है. जहां तक मध्य प्रदेश के रीवा में कम दर पर सौर बिजली दी जा रही है तो वहां सरकार ने सोलर पावर पार्क के लिए निशुल्क जमीन उपलब्ध करायी है. झारखंड में जमीन की दर अधिक है. जमीन लेना कठिन है. प्रशासनिक परेशानी भी है. इसलिए दर कम करना संभव नहीं है.
क्या है मामला
जेरेडा द्वारा जनवरी 2016 में 1200 मेगावाट की सोलर परियोजना स्थापित करने के लिए निविदा निकाली गयी थी. इसमें कंपनियों से दर की मांग की गयी थी. इसमें आठ कंपनियों का चयन उनके द्वारा दी गयी न्यूनतम दर के आधार पर किया गया. इन कंपनियों का चयन 1101 मेगावाट के लिए किया गया. इसमें अडाणी व रिन्यू पावर जैसी कंपनियों भी शामिल हैं. झारखंड सरकार ने निविदा के पूर्व प्रावधान कर दिया था कि झारखंड में 1200 मेगावाट की सोलर परियोजना स्थापित होने पर इससे उत्पादित सारी बिजली झारखंड सरकार खरीदेगी. इसके बाद जेरेडा द्वारा निविदा निकाली गयी. इसके बाद झारखंड बिजली वितरण निगम को पावर परेचज एग्रीमेंटपर साइन करना था. पर साइन नहीं हो सका. इसकी वजह बतायी जा रही है कि सोलर पावर से उत्पादित बिजली की औसतन दर 5.36 रुपये प्रति यूनिट पड़ती है. जबकि बिजली वितरण कंपनी औसतन 2.10 रुपये से 4.10 रुपये की दर से प्रति यूनिट बिजली खरीदती है.
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