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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Sun ,19 Mar 2017 10:03:54 am |
रांची : स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि चाईबासा, बोकारो और कोडरमा में भी जल्द मेडिकल कॉलेज खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. असाध्य रोगों में 2.5 से लेकर पांच लाख रुपये तक का खर्च लोगों को दिया जा रहा है. सरकार सभी जिले में आइसीयू और डायलिसिस सेंटर खोलने जा रही है. सरकार मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट सुधार के साथ लागू करेगी. उम्मीद है कि अगले माह होनेवाली कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव आ जाये. मंत्री शनिवार को राजधानी के होटल बीएनआर में द एसोसिएटेड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ऑफ इंडिया (एसोचैम), झारखंड चैप्टर द्वारा हेल्थ एंड वेलनेश विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे.
इस मौके पर चिकित्सा के क्षेत्र में अच्छा काम करनेवाले संस्थानों को हेल्थ एंड वेलनेश अवार्ड-2017 से सम्मानित किया गया. अपने गुल्लक के पैसे से गांव में शौचालय बनानेवाली मंत्रिका चटर्जी को भी सम्मान दिया गया.
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि सरकार शत-प्रतिशत लोगों को स्वास्थ्य बीमा से जोड़ने की योजना पर काम कर रही है. सरकारी कर्मियों के लिए अलग बीमा योजना होगी. मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत दो लाख रुपये तक वार्षिक कमाने वाले इस दायरे में आयेंगे. इस दायरे में राज्य की करीब 80 फीसदी आबादी आती है. इस पर राज्य सरकार करीब 400-500 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करनेवाले निजी सेक्टर को भी जोड़ा जायेगा. राज्य सरकार का 108 एंबुलेंस नहीं चल रहा है. सरकार इसे चलाने के लिए प्रयासरत है. उम्मीद है इसका समाधान जल्द निकल जायेगा. दो माह के अंदर सदर अस्पताल का एक हिस्सा चालू हो जायेगा.
बहुत बुरी नहीं है झारखंड की चिकित्सा व्यवस्था : डॉ संजय
मेडिका ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के उपाध्यक्ष डॉ संजय कुमार ने कहा कि झारखंड में चिकित्सा सुविधा की स्थिति बहुत बुरी नहीं है. देश में झारखंड की पहचान है. लेकिन, आज भी यहां सुधार की जरूरत है. झारखंड पूर्वी भारत के चिकित्सा क्षेत्र का हब हो सकता है. एंबुलेंस खरीद लिये गये हैं, लेकिन ड्राइवर नहीं है. डॉ संजय ने कहा कि मेडिका अस्पताल कौशल विकास के क्षेत्र में काम कर रहा है. हर साल 15 युवाओं को एक्स-रे की ट्रेनिंग दी जा रही है. इसका उपयोग राज्य सरकार अपने अस्पतालों में कर सकती है. हिल व्यू अस्पताल के निदेशक डॉ नितेश प्रिया ने कहा कि चिकित्सा के पेशे में अस्पताल और मरीज एक दूसरे पर विश्वास नहीं कर रहे हैं.
इसे बढ़ाने के लिए मरीजों को विश्वास में लेना होगा. कश्यप मेमोरियल आइ हॉस्पिटल की डॉ निधि गजेंद्रागाडकर ने कहा कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन करते समय हाइजिन का पूरा ख्याल रखना चाहिए. इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के आइडीएचपी के निदेशक डॉ रमेश प्रसाद व होया सर्जिकल ऑप्टिक्स, इंडिया एंड साउथ एशिया के एमडी डॉ मुकेश सिन्हा ने भी विचार रखे. अतिथियों का स्वागत करते हुए एसोचैम के क्षेत्रीय निदेशक एसके सिंह ने कहा कि इस तरह के आयोजन का उद्देश्य सरकार और स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करा रही संस्थानों के बीच की खाई को कम करना है. धन्यवाद ज्ञापन सहायक निदेशक रोशन राहुलेश ने किया.
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