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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Sat ,18 Mar 2017 04:03:47 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - राज्य में आपराधिक वारदातों के निष्पादन के लिए पुलिसिया तंत्र के पास अत्याधुनिक तकनीक मौजूद होने के बावजूद पुलिस बड़े वारदातों के उनसुझे सवालों को सुलझाने में कंही ना कंही फेल्युअर हो रही है। हाल की दिनो में राजधानी रांची में हुए कई वारदातों का खुलासा करने में पुलिस नाकाम रही है। चाहे वो रांची की निर्भया हत्या कांड हो या फिर इच्छिता की संदेहास्पद मौत का मामला हो, रिम्स में जूनियर डॉक्टर के आत्महत्या का कारण का खुलासा या फिर ट्रेन से सिर कटी लाश बरामद का मामला ,यंहा तक की भरे बाजार में निर्वस्त्र कर महिला की पिटाई की जाती है और पुलिस को भनक तक नहीं लगती। ऐसे कई बड़े मामले है जिसका निपटारा पुलिस की पहुँच से दूर है। जबकि पुलिसिया बैठक और फाइलों में पुलिस अपनी सफलता गिनाने में पीछे नहीं रहती।
छोटे मोटे आपराधिक वारदातों के निष्पादन तो होते है लेकिन बड़े मामले सालों जांच तक ही सीमित रह जाती है। सवाल ये उठता है कि कंही पुलिस पर किसी का दबाव तो नहीं। झाजी ,सीआईडी रखण्ड पुलिस एसोसिएशन के महामंत्री की माने तो पुलिस पर कोई दबाव नहीं होता बल्कि सही मुजरिम को भेरिफाई करने में देरी की वजह से वारदात के खुलासे में देरी होती है
जबकि पुलिसिया करवाई पर आम लोगों की राय अलग ही है। क्योंकि आम लोगों मानना है कि पुलिस सही तरीके से इन्वेस्टिगेशन नहीं करती बल्कि अगर कोई कंप्लेन करता है तो पुलिस नशीहत देती है और बावजूद आधुनिक तकनीक के पुलिस फेल हो जाती है।
बहरहाल इसे विडंबना ही कंहेंगे कि आधुनिक तकनीक मुहैया होने के बाद भी मुजरिम गुनाह करने के बाद पुलिस के पहुँच से कोषों दूर है और पुलिस की आपराधिक वारदातों के निष्पादन की सफलता बैठकों में गिनाई जा रही है
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