Breaking News
By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Fri ,17 Mar 2017 05:03:06 pm | Updated Date: Fri ,17 Mar 2017 05:03:32 pm
पटना: बिहार में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्रित्व के नेतृत्व में भले ही सरकार चल रही है लेकिन राजद सुप्रीमों यह रास नहीं आ रही है। यूपी चुनाव में सपा को लेकर जिस तरह से लालू यादव अखिलेश के पक्ष में उतरे थे अगर उसका परिणाम लालू के मनमुताबिक आ गया होता तो नीतीश का तख्ता पलट तय माना जा रहा था। यूपी चुनाव के पहले ही राजद के नेता जिस तरह से नीतीश को लेकर बयान देने शुरू किए थे उसमें लालू यादव की नई राजनतिक रणनित तैयार होने लगी थी
बिहार में सत्ता की साझेदार जेडीयू और आरजेडी नेताओं के बीच अक्सर तल्ख बयानबाजी की खबरें आती रहती है। लेकिन इस बार जो खबर सामने आई है उसके मुताबिक, आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने नीतीश कुमार के ‘तख्तापलट’ की योजना बना ली थी, लेकिन यूपी में नरेंद्र मोदी की सुनामी ने उनकी रणनीति पर पानी फेर दिया। सूत्रों की मानें तो लालू अपने पुत्र तेजस्वी को सीएम की कुर्सी पर बिठाने के लिए गुपचुप तैयारी कर रहे थे। इसी रणनीति के तहत राबड़ी देवी सहित आरजेडी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं ने यह कहना भी शुरू कर दिया था कि बिहार की जनता तेजस्वी को सीएम की कुर्सी पर देखना चाहती है।
सूत्रों की मानें तो लालू ने लगभग मन बना लिया था कि यूपी में अखिलेश यादव के सीएम बनने के एक महीने के अंदर ही वह अपनी पार्टी का सपा में विलय करवा देंगे और फिर कांग्रेस की मदद से अपने बेटे और मौजूदा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी को बिहार में सीएम की गद्दी पर बिठवा देंगे। इस कथित ‘तख्तापलट’ की तैयारियों का संकेत यूपी के सीएम अखिलेश यादव के एक इंटरव्यू से भी मिलता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मेरी दिल की आवाज है कि यूपी में मेरे नेतृत्व में दुबारा सरकार बनेगी। तब 2019 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर मैं आगे बढ़ूंगा। कांग्रेस तो साथ है ही, फिर लालू और ममता बनर्जी के साथ मिलकर तैयारी करूंगा।
बता दें कि बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में आरजेडी के 80 और कांग्रेस के 27 विधायक हैं। ऐसे में बहुमत के लिए उन्हें 15 अतिरिक्त विधायकों की जरूरत होती, लेकिन राजनीति के माहिर लालू के लिए यह कोई मुश्किल काम प्रतीत नहीं होता। खबर के मुताबिक, नीतीश को हालांकि इस चक्रव्यूह की भनक पहले ही लग गई थी और इसी वजह से उन्होंने यूपी चुनाव से दूर रहने का ही निर्णय लिया। कहा जाता है कि नीतीश के कदम से कुर्मी की अच्छी खासी आबादी वाले पूर्वांचल में बीजेपी को फायदा मिला। वहीं यूपी चुनावों में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की ऐसी आंधी चली कि लालू की यह रणनीति धरी रह गई और अब बिहार में गठबंधन बनाए रखना उनकी मजबूरी बन कर रह गई।
All rights reserved © 2013-2025 samacharnow.com
Developed by Mania Group Of Technology.