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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Fri ,17 Mar 2017 04:03:42 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो : उत्तर प्रदेश के नये मुख्यमंत्री के नाम पर अब भी संशय बरकरार है. भाजपा आलाकमान अभी इस मसले पर फैसला नहीं कर पाया है. हालांकि, मीडिया में चल रही अटकलबाजी में केंद्र की मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का नाम इस दौड़ में अभी सबसे लिया जा रहा है, लेकिन सूत्र कहते हैं कि पार्टी नेतृत्व इस बारे में शनिवार को ही कोई निर्णय ले सकेगा. इस बीच, खबर यह भी आ रही है कि मीडिया में जितने भी नामों की चर्चा की जा रही है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन सभी नामों से इतर परदे के पीछे से किसी अन्य नेता के नाम की घोषणा करके सभी को चौंका भी सकते हैं.
हालांकि, गोवा और मणिपुर में भाजपा को बहुमत नहीं मिलने के बावजूद मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करके सरकार का गठन भी कर दिया गया है, लेकिन उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत होने पर भी पार्टी मुख्यमंत्री के नाम पर अभी तक किसी नतीजे पर पहुंच नहीं पायी है. सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इस प्रयास में लगे हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम पर ऐसे व्यक्ति को पेश किया जाये, जो सर्वमान्य हो और पार्टी लाइन के साथ विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए सूबे के जातीय समीकरण के लिहाज से काम कर सके. इसका कारण यह बताया जा रहा है कि भाजपा या यूं कहें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मिली जीत की बिसात पर अब 2019 के आम चुनावों में अपना परचम दोबारा लहराने की तैयारी में जुट गये हैं.
मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल लोगों के हर पहलुओं की बेहद बारीकी से आकलन के बाद अब रेस में सिर्फ दो नाम शामिल बताये जा रहे हैं, उनमें केंद्रीय दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य अहम तौर पर शामिल हैं, मगर मनोज सिन्हा का एक कमजोर पहलू यह है कि वह सवर्ण जाति से आते हैं. चुनावों में भाजपा को दलितों और पिछड़ी जातियों का काफी समर्थन मिला है. ऐसे में पार्टी उन्हें नाराज करने का जोखिम नहीं लेना चाहेगी. इस लिहाज से अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य का चयन भाजपा की समस्या का समाधान कर सकता है. मौर्य को पिछले साल इसी आधार पर भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. इसके बाद पार्टी ने दलितों और पिछड़ों के बीच पैठ बनाना शुरू किया. मौर्य का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनका पुराना नाता भी रहा है.
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