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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Wed ,15 Mar 2017 05:03:25 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - देश भर में बढ़ते सड़क दुर्घटना को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पुराने कमर्शियल वाहनों में स्पीडो मीटर लगाना अनिवार्य किया है।जिसे लेकर झारखण्ड में भी 1 फरवरी से ज़रूरी हुआ है स्पीडो मीटर लगाना। बिना स्पीड गवर्नर के सर्टिफिकेट के वाहनों के कागज़ात होंगे अधूरे।लेकिन स्पीड गवर्नर लगाने के बाद भी नहीं बन रहे हैं फिटनेस सर्टिफिकेट,कारणस्वरूप नहीं हो रहा है वहान का कागज़ात रिन्यूअल और महीनों से धुल फांक रही है गाड़ियां।वाहन मालिको को लगाना हो रहा है दफ्तरों का चक्कर।एक रिपोर्ट....
.बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नए कमर्सिअल वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य कर दिया है।जिसके जरिये अब हर वाहन एक निर्धारित स्पीड से ही चल पायेगी।वहीँ झारखण्ड में भी इस नियम को 1 फरवरी से लागू कर दिया गया है।और इस सर्टिफिकेट के बिना वाहन का कोई भी कागज़ात अब नहीं बन पाएगा।जिसका विरोध भी राजधानी रांची में ट्रक और बस अस्सोसिएशन द्वारा देखने को मिला था।
कोर्ट के आदेश के बाद वाहन मालिकों ने अपने वाहनों में स्पीडो मीटर तो लगवा लिया।बावजूद इसके ,वाहन के अन्य कागज़ात बनवाने के लिए मालिकों को MVI दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।और पिछले दो महीने से कागज़ात नहीं बनने की वजह से लोगों के वाहन रुट पर नहीं चल पा रहे हैं।जिसकी वजह से मालिकों के रोज़ी रोटी में भी आफत आ गयी है।और राजधानी के कई कमर्शियल वाहनों को चक्का जाम हो गया है।
वहीँ लोगों की लगातार आ रही शिकायत पर जब हम रांची के कचहरी स्थित MVI दफ्तर पहुंचे तो mvi की कुर्सी उनके ही इंतज़ार में खली पड़ी दिखी।जबकि आज भी उन्हें रांची कार्यालय में अपना योगदान देना है।mvi के दफ्तर से नदारद होने के मामले पर जब हमने दफ्तर स्थित कंप्यूटर ऑपरेटर से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि ।रांची में साहब की ड्यूटी महज़ दो दिनों की होती है,क्योंकि अन्य जिलों की भी ज़िम्मेदारी उन्हें ही दी गयी है।हालाँकि उन्होंने कहा कि कोई काम नहीं रुक रहा है ।लेकिन जब हमने लोगों से बात की तो पता चला की पिछले दो महीने से सिर्फ mvi के सिग्नेचर की वजह से उनके कागज़ात पुरे नहीं हो रहे है।और निर्धारित दिन में भी मोटर व्हीकल इन्स्पेक्टर दफ्तर नहीं पहुँचते।मामले की शिकायत जब हम डिस्ट्रिक्ट ट्रांसपोर्ट ऑफिसर से की तो उन्होंने जांच का आश्वासन दिया
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नियम तो लागू कर दिए गए लेकिन विभाग तात्पर्यता से काम कर पाने में असमर्थ है।क्योंकि वाहन मालिक कागज़ात के लिए दफ्तरों का चक्कर काटने को मजबूर हैं।और दफ्तर में पिछले दो महीने से ब्रेक लगे काम ने वाहनों के साथ साथ वाहन मालिकों के ज़िन्दगी के रफ़्तार को भी रोक दि है।और वे कमाई तो छोड़ वाहन का किश्त चूका पाने में असमर्थ हैं
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