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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Tue ,14 Mar 2017 05:03:33 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - संसद ने आज शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी जिसमें युद्ध के बाद पाकिस्तान एवं चीन पलायन कर गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं। लोकसभा ने शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2017 में राज्यसभा में किए गए संशोधनों को मंजूरी प्रदान करते हुए इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्यसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। यह विधेयक इस संबंध में सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा। निचले सदन ने इस बारे में आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन द्वारा रखे गए शत्रु सम्पत्ति संशोधन और विधिमान्यकरण पांचवा अध्यादेश 2016 का निरनुमोदन करने वाले संकल्प को अस्वीकार कर दिया।
जब किसी देश के साथ युद्ध होता है तो उसे शत्रु माना जाता है: राजनाथ सिंह
इस बारे में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी सरकार को अपने शत्रु राष्ट्र या उसके नागरिकों को संपत्ति रखने या व्यावयायिक हितों के लिए मंजूरी नहीं देनी चाहिए। शत्रु संपत्ति का अधिकार सरकार के पास होना चाहिए न कि शत्रु देशों के नागरिकों के उत्तराधिकारियों के पास। उन्होंने कहा कि जब किसी देश के साथ युद्ध होता है तो उसे शत्रु माना जाता है और शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2017’’ को 1962 के भारत चीन युद्ध, 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए।
बिल पास नहीं कराने से होगा करोड़ों की संपत्ति का नुकसान
उपरोक्त युद्धों की पृष्ठभूमि में अपनी पुश्तैनी संपत्ति को छोड़कर शत्रु देश में चले जाने वाले पाकिस्तानी और चीनी नागरिकों के संबंध में लाए गए इस विधेयक के संबंध में राजनाथ ने कहा कि इस विधेयक को पारित कराना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एेसा नहीं होने से लाखों करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान होगा। सरकार द्वारा अध्यादेश का मार्ग अपनाए जाने पर विपक्ष की आलोचना पर गृह मंत्री ने कहा कि सरकार भी अध्यादेश का मार्ग नहीं अपनाना चाहती है। अत्यधिक जरूरत होने पर ही एेसा किया जाता है उन्होंने कहा कि पिछली तिथि से प्रभावी होने का जो कुछ उल्लेख किया गया है, उससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास नहीं भेजने के कुछ सदस्यों की आलोचना पर राजनाथ ने कहा कि इस बारे में व्यापक चर्चा हो चुकी है।
शत्रु संपत्ति संशोधन बिल क्या है?
राज्यसभा करीब 50 साल पुराने शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन संबंधित बिल को पास कर चुका है। इस बिल में युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन पलायन कर गए लोगों की तरफ से छोड़ी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं। विभाजन या युद्ध के बाद गए लोगों की छूटी प्रॉपर्टी के दावों से निपटने के प्रावधान हैं। इसके मुताबिक पलायन करके वहां की नागरिकता लेने वाले लोगों की संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। भारत में रह रहे उत्तराधिकारियों का भी उनकी छूटी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रहेगा। संशोधनों से ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोगों के प्रभावित होने से ये मामला विवाद में भी है। संसद से पारित होने के बाद यह बिल इस संबंध में सरकार की तरफ से जारी किए गए ऑर्डिनेंस का स्थान लेगा।
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