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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Sun ,12 Mar 2017 03:03:29 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में जो कुछ बातें सामने आई और जिस तरीके से राजनीति को उत्तर मिला उसमें एक नहीं कई लोगों की मटिया पलीत हो गई इसमें सबसे बडी पटखनी चुनाव जिताने का फार्मूला लेकर घूमने वाले प्रशांत किशोर उर्फ पीके को मिली है। हालंाकि बिहार में बहुत कुछ न करपाने के झटके से उबरने के लिए उत्तर प्रदेश पहुचे पीको को ऐसा धोबिया पाट लगा है कि उनकी हर गणित ही इस गणित को बैठाने में जुटी है क्या जोडे और क्या घटाऐं ।
2014 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए चुनावी रणनीति बिछाने में जुटे प्रशांत किशोर एक बड़े नाम बने और राजनीति के बदलाव के लिए नए रणनीतिकार बन गए हर हर मोदी घर घर मोदी का एैसा नारा लगा की पीके रातोरात राजनीति समझने वाले चाणक्य बन गए... हर हर मोदी घर घर मोदी और चाय पर चर्चा का कार्यक्रम मोदी के साथ इतना हिट हुआ की नीतीश के साथ बिहार मे उनका गठबंधन हो गया।
कहते हैं हर समय एक जैसा नहीं रहता मोदी से खटास हुई तो प्रशांत किशारे बिहार पहंुचे और 2015 की रणनीत में जुट गए बिहार में प्रशांत किशोर ने कुछ काम जरूर किया था यह दिगर बात है कि बिहार में जो सरकार बनी उसमें बड़ा श्रेय लालू को जाता है लेकिन रणनीति बनाने के मामले को लेकर वहां भी पीके अपनी भूमिका को महत्वपूर्ण ही बता देते हैं हालांकि नीतीश कुमार को गद्दी पर बैठाने के लिए उन्होंने कोई कोर.कसर तो नहीं छोड़ी लेकिन नीतीश को कस कइस बात की जरूर रह गई की 147 सीटों को छोड़ 101 सीट पर समझौता किए लेकिन उसका भी स्ट्राइक रेट 70ः से ज्यादा नहीं रह पाया यह अलग बात है की फिर भी पीके की पीठ थपथपाई गई और उन्हें बिहार सरकार की रणनीति में योगदान करने के लिए बिहार सरकार ने सलाहकार बना दिया
आसमान पर उड़ रही आकांक्षाएं जमीन पर कहां टिकने देती यही दो बार की जीत के बाद राजनीति की नब्ज टोलने के चाणक्य बने पीके उत्तर प्रदेश पहुंच गए बिहार को छोड़ यूपी पहुंचे प्रशांत किशोर पहले राहुल गांधी के साथ काम शुरू किए फिा यूपी फतह का सही फार्मूला बताकर राहुल अखिलेश को मिला दिए और कुल मिलाकर की जो तिकड़ी बनी उसमें राहुल और अखिलेश की पूरी गणित का ही मटियामेट हो गया जिम्मेदारी किसकी होगी जवाबदेही कौन लेगा समीक्षा कैसे होगी यह सब समय के अनुसार होगा लेकिन एक बात तो तय है सियासत की अपनी चाल होती है राजनीति का अपना रंग होता ह ैजनता का अपना मन होता है और जो जनता का मन होता है वही जनमत होता है
उत्तर प्रदेश में इस बात को साबित कर दिया सियासत में जाति और धर्म का तड़का अवसर की बानगी हर बार नहीं जीतती । 2017 के उत्तर प्रदेश के चुनाव में प्रशान्त किशोर की पूरी रणनीति फेल हो गई चुनावी गणित बैठाने के आधुनिक चाणक्य के नाम से भी इन्हें सम्मानित किया जाता था और चेहरे की बड़ी छोटी सी मुस्कान उस चीज को स्वीकार भी कर लेती थी लेकिन उत्तर प्रदेश में सब कुछ गर्त में चला गया।
सभार
प्रीता दूबे
सम्पादक समाचार नाऊ
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