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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Sat ,04 Mar 2017 09:03:49 am |
समाचार नाऊ ब्यूरो रांची : सीएनटी-एसपीटी में संशोधन संबंधी बिल करीब ढाई माह से राज्यपाल द्रौपदी मुरमू की सहमति के लिए पड़ा है. एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव 23 नवंबर को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित हुआ था. सरकार ने सहमति के लिए 18 दिसंबर को इसे राजभवन भेजा था. करीब ढाई माह हो गये, बिल पर अब तक सहमति नहीं मिली है. राज्यपाल की स्वीकृति के बाद इसे गृह मंत्रालय को भेजा जाना है. गृह मंत्रालय के माध्यम से प्रस्तावित संशोधन राष्ट्रपति की सहमति के लिए पेश किया जायेगा. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही राज्य सरकार एक्ट में किये गये संशोधन को लागू करेगी.
सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव अध्यादेश के रूप में राज्यपाल को भेज चुकी है़ अध्यादेश को राज्यपाल के माध्यम से गृह मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा गया था. केंद्र की मंजूरी में समय लगा, इस बीच विधानसभा का शीतकालीन सत्र आहूत हो गया. इसके बाद सरकार ने संशोधन प्रस्ताव को विधानसभा से पारित कर दिया. एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव राज्यपाल की स्वीकृति के लिए दोबारा भेजा गया. पर इस बार राज्यपाल की सहमति अब तक नहीं मिल पायी है.
माेमेंटम झारखंड में 3.10 लाख करोड़ रुपये का हुआ एमओयू, चाहिए जमीन
पिछले 16-17 फरवरी को राज्य सरकार ने मोमेंटम झारखंड का आयोजन किया था. देश-विदेश से कंपनियां झारखंड पहुंचीं थी़ं 17 फरवरी को विभिन्न कंपनियों ने झारखंड में निवेशक के लिए 3़10 लाख करोड़ का एमओयू किया था. इन कंपनियों को झारखंड में निवेश के लिए जमीन की आवश्यकता होगी. निवेशकों को सहूलियत से जमीन मिले, इसके लिए संशोधन किया गया था़ 210 कंपनियों ने एमआेयू किया है़ सरकार ने फिलहाल 20 लाख एकड़ का लैंड बैंक होने की घोषणा की है़
विकास कार्यों में तेजी के लिए क्या हुआ है संशोधन
सरकार ने छोटानागपुर कश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संताल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी) में संशोधन विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए किया है़ कृषि से गैर कृषि कार्य के लिए जमीन का उपयोग हो सकेगा़ विकास योजनाओं के लिए सरकार नियम संगत अधिग्रहण करेगी़ गैर कृषि कार्य में उपयोग के बाद भी जमीन पर रैयत का मालिकाना हक बरकरार होगा.
सीएनटी की धारा 49 (1) कोई भी जोत या जमीन मालिक सरकारी प्रयोजन को लेकर सामाजिक, विकासोन्मुखी व कल्याणकारी आधारभूत संरचाओं के लिए अधिसूचित की जानेवाली परियोजनाओं के लिए जमीन हस्तांतरित कर सकेंगे.
सीएनटी की धारा 49 (2) में प्रावधान किया गया है कि जिस प्रयोजनार्थ जमीन का हस्तांतरण हुआ है, यदि उपयोग नहीं हो सकेगा, तो पांच वर्षों को अंदर रैयत को लौटाना होगा. सीएनटी की धारा-71 (ए) की उप धारा-2 को समाप्त करने का फैसला किया गया है. इसके बाद मुआवजा के आधार पर जमीन का हस्तांतरण नहीं होगा़ प्रावधान ही समाप्त कर दिया गया.
एसपीटी की धारा-13 इसके स्थान पर धारा 13 (क) स्थापित की गयी है. इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार समय-समय पर ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों में भूमि के गैर कृषि उपयोग को विनियमित करने के लिए नियम बनायेगी.
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