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गोड्डा- साहेब बताइए हम क्या करे - ३० साल से नही मिली कोल खनन के लिए ली गई जमीन

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Mon ,20 Feb 2017 11:02:06 am |


समाचार नाऊ ब्यूरो - एक पुरानी कहावत है अगर आप किसी का पेट नहीं भर सकते तो किसी के मूंह से निवाला छिनने का भी कोई अधिकार नहीं है . मगर गोड्डा जिले में कोयले का उत्खनन कर रही कंपनी इ सी एल के राजमहल परियोजना द्वारा ये काम बखूबी किया जा रहा है 

गोड्डा जिले में इ सी एल के राजमहल परियोजना द्वारा कोयले का उत्खनन का कार्य किया जा रहा है .इस कार्य के लिए सैकड़ों एकड़ भूमि यहाँ के रैयतों से आज से तीस वर्ष पहले लिया गया था इस शर्त पर की 15 वर्षों के बाद  कोयला उत्खनन कार्य के बाद जमीन उन्हें वापस कर दी जाएगी .मगर आज तीस वर्ष बाद भी ऐसा नहीं हुआ . अब भू दाताओं की जमीन पर मिटटी के पहाड़ बने हुए हैं जिनमे अभी भी कोयला दबा हुआ है जिन्हें यहाँ के मजदूर वर्ग चुनकर साइकिल मजदूरों के हाथों बेचते हैं जिनसे उनके घरों में दो जून का रोटी बनता है . मगर पिछले दिनों हुए भुधासान  हादसे के बाद प्रबंधन द्वारा सख्ती बरतने का काम शुरू किया गया जिसका कोप भाजन इन गरीब मजदूरों को बनना पड़ रहा है .

इससे पहले इन मजदूरों से प्रति साइकिल रास्ते में पड़ने वाले सभी थाने सौ रुपये की वसूली भी धड़ल्ले से होती थी और पैसे नहीं दिए जाने के बाद इनके साइकिल के टायर काट दिए जाते थे .प्रबंधन और पुलिस प्रशासन के इस बर्बरतापूर्ण रवैये के विरोध में इन कोयला मजदूरों ने गोलबंदी कर प्रबंधन और प्रशासन के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है .इनका कहना है कि जब राज्य के मुखिया का ये बयान है कि इन साइकिल मजदूरों को  परेशान नहीं किया जाय तो फिर इनका ये रवैया कहाँ तक जायज है .अगर यही रवैया रहा तो फिर परियोजना के काम को ठप्प भी कर देंगे .

बहरहाल परियोजना प्रबंधन का इन मजदूरों के खिलाफ चलाये जा रहे मुहीम को देख तो यही कहा जा सकता है कि पिछले दिनों हुए खान हादसे पर लीपा पोती करने का काम कर इन मजदूरों के मूंह से निवाला छिन कर हादसे से ध्यान भटकाने का प्रयास तो नहीं ?



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