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गरीब, अनाथ व कुपोषित बच्चों की देखभाल के लिए शीघ्र ही गरीब समृद्धि योजना- रघुवर दास

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Sun ,12 Feb 2017 08:02:38 pm |


समाचार नाऊ ब्यूरो  : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि गरीब, अनाथ व कुपोषित बच्चों की देखभाल के लिए राज्य में शीघ्र गरीब समृद्धि योजना शुरू की जायेगी. इस योजना में सभी लोग अपना अंशदान कर सकेंगे. पंचायत सचिवालय के माध्यम से गांव के अनाथ बच्चों का सर्वेक्षण करा कर पुनर्वास केंद्र के माध्यम से उनको शिक्षित व प्रशिक्षित भी किया जायेगा. देवघर में बच्चियों के लिए 23 करोड़ रुपये की लागत से बाल सुधार गृह  बनाया जायेगा. वहां उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा. सरकार गरीब व अनाथ बच्चों के पुनर्वास की व्यवस्था करने में लगी हुई है. इसके लिए रांची व गुमला में पुनर्वास केंद्र बनाया जा रहा है. 


मुख्यमंत्री शनिवार को होटल बीएनआर चाणक्या में आयोजित दो दिवसीय इस्टर्न रीजन जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 विषयक  परामर्श कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में बोल रहे थे. सुप्रीम कोर्ट जुवेनाइल  जस्टिस कमेटी व राज्य के महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा यूनिसेफ के सहयोग कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.  
 

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में ह्यूमन ट्रैफिकिंग की समस्या भी अधिक है. यहां ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों को आजीविका प्राप्त करने लायक बनाया जायेगा. वापस लाये गये बच्चों का पुनर्वास करना सरकार का दायित्व है, ताकि बच्चों को पुन: ट्रैफिकिंग का शिकार होने से बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि सरकार न्यायपालिका के साथ मिल कर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के सपने को साकार करने का काम करेगी. रांची व जमशेदपुर में आदर्श बाल सुधार गृह बनाया गया है.  इसे मॉडल मान कर अन्य बाल सुधार गृहों को भी आदर्श बाल सुधार गृह के रूप  में परिणत किया जायेगा. त्वरित न्याय की दिशा में बाल सुधार से संबंधित 115 मामलों में वीडियों कांफ्रेंसिंग के  माध्यम से पेशी हुई है, जिसमें  17 मामलों का निष्पादन किया गया. हजारीबाग  में भी वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. 
 

   सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि वर्ष 2015 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 94,000 मामले सामने आये थे. बच्चों के खिलाफ अपराध के पिछले रिकार्ड से उक्त आंकड़ा बहुत ज्यादा है. बच्चों द्वारा किये गये अपराध के अलावा बच्चों के खिलाफ होनेवाले अपराध पर विशेष ध्यान देना होगा. साथ ही वैसे बच्चों के पुनर्वास की पहल करनी होगी, ताकि वे अपराध के क्षेत्र से अलग रहें. बच्चों में अपराध की रोकथाम के लिए जस्टिस लोकुर ने काउंसलिंग की जरूरत बतायी. उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में काउंसलरों की कमी है. इसे देखते हुए हर तरह के काउंसलरों की सहायता ली जानी चाहिए. बाल सुधार गृह में रह रहे बच्चों के कौशल विकास पर भी ध्यान देना होगा. बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष कोर्ट का गठन किया जाना चाहिए. सोशल ऑडिट के माध्यम से यह जानने का प्रयास किया जाये कि बच्चों के लिए किस प्रकार की चुनौती है. 
 

झारखंड हाइकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए उनका समुचित देखभाल आवश्यक है. जुवेनाइल जस्टिस सिस्टम में काम करनेवाले न्यायिक अधिकारियों को भी संवेदनशील बनाना है. झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष व हाइकोर्ट के जस्टिस डीएन पटेल ने कहा कि 31 दिसंबर 2016 तक राज्य में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के पास 2,518 मामले लंबित थे. राज्य के 10 आर्ब्जवेशन होम में 491 बच्चे रह रहे हैं. 
 

   मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कहा कि बच्चों में आपराधिक प्रवृत्ति नहीं आये, यह हम सभी की जिम्मेवारी है. बच्चों का प्रोटेक्शन सिर्फ पुलिस प्रशासन के भरोसे संभव नहीं है. सभी को सामाजिक जिम्मेदारी लेनी होगी. घर, समाज, संस्था व एनजीओ मिल कर बेहतर वातावरण बनाना चाहिए, ताकि बच्चों के समुचित विकास के लिए अच्छा वातावरण तैयार हो सके. कार्यक्रम में यूनिसेफ के चीफ अॉफ चाइल्ड प्रोटेक्शन जेवियर एग्विलर व चीफ अॉफ फिल्ड अॉफिस मधुलिका जोनाथन ने भी अपने विचार रखे. इस अवसर पर हाइकोर्ट के न्यायाधीशगण, अोड़िशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, अंडमान व निकोबार, झारखंड के प्रतिनिधि व राज्य के गणमान्य लोग उपस्थित थे.



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