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By ?????? ??? ?????? | Publish Date: Tue ,31 Jan 2017 10:01:57 am |
समाचार नाऊ ब्यूरो नयी दिल्ली : वित्त मंंत्री अरुण जेटली ने आज संसद में वर्ष 2017-18 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया है. सर्वेक्षण में 6.75% से 7.5% की दर से आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया गया है. अौद्योगिक उत्पादन में जहां पिछले साल के मुकाबले गिरावट दर्ज किये जाने का अनुमान है, वहीं कृषि क्षेत्र में तीन साल का सबसे बढ़िया प्रदर्शन दर्ज किये जाने का अनुमान लगाया गया है. अौद्योगिक सेक्टर में चालू वित्त वर्ष में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज का अनुमान है. पिछले साल समान अवधि में वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत थी. एग्रीकल्चर सेक्टर में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है पिछले साल कृषि क्षेत्र में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी.
आर्थिक सर्वे में गरीबी उऩ्मूलन के लिए स्टेट सब्सिडी की जगह यूनिवर्सल बेसिक इनकम पर जोर दिया गया है. आर्थिक सर्वे में तीन सेक्टर्स फर्टिलाइजर, सिविल एविएशन, बैंकिंग के निजीकरण पर जोर दिया गया है. आज जारी आर्थिक सर्वे में नोटबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे विपरीत प्रभावों का जिक्र किया गया है. हालांकि यह भी कहा गया है कि निकट भविष्य में नोटबंदी का इकोनॉमी पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा. कैश की दिक्कतों के खत्म होने के बाद अर्थव्यवस्था एक बार फिर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में शामिल हो जायेगी.
आर्थिक सर्वे में पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के प्रदर्शन को लेकर चिंता जाहिर की गयी है. पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में फिर से जान फूंकने के लिए सरकार को एक केंद्रीकृत पब्लिक सेक्टर एसेट रिहेबिलेशन एजेंसी के स्थापना करने की सलाह दी गयी है. अगर इस साल तेल की कीमतें बढ़ी तो रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों में कटौती कर पाना बेहद मुश्किल हो जायेगा.सरकार के जिन पांच महत्वपूर्ण सुधारों का जिक्र किया गया है. उनमें जीएसटी, दिवालिया कानून, मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी, आधार बिल, एफडीआई उदारीकरण और यूपीआई स्कीम है.
आर्थिक समीक्षा आमतौर पर बजट से एक दिन पूर्व पेश की जाती है. इकोनॉमिक सर्वे में पूरे साल भर का लेखा -जोखा रहता है. आंकड़ों के साथ देश की मौजूदा आर्थिक हालत का ब्यौरा दी जाती है. सालभर में देश में विकास का ट्रेंड क्या रहा, किस क्षेत्र में कितना निवेश हुआ, किस क्षेत्र में कितना विकास हुआ, किन योजनाओं को किस तरह अमल में लाया गया, जैसे सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की जाती है.
अर्थव्यवस्था, पूर्वानुमान और नीतिगत स्तर पर चुनौतियों संबंधी विस्तृत सूचनाओं का भी इसमें समावेश होता है. इसमें क्षेत्रवार हालातों की रूपरेखा और सुधार के उपायों के बारे में बताया जाता है. भविष्य के आर्थिक नीतियों के लिए यह उपयोगी साबित होती है.
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