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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Mon ,09 Jan 2017 11:01:54 am |
समाचार नाऊ ब्यूरो वर्ष 2016 में कृषि सरकार की प्राथमिकता सूची में रहा, पर वर्ष के अंत में सरकार की विमुद्रीकरण नीति के कारण यह फीका पड़ गया। गौरतलब है कि लगातार दो वर्षों का सूखा भी किसानों के अदम्यसाहस को कमजोर नहीं कर पाया जिन्होंने फसल वर्ष 201516 के चौथे अग्रिम अनुमान को गलत साबित करते हुए 252.22 मिलियन टन खाद्यान का उत्पादन किया जो पिछले वर्ष 252.02 मिलियन टन केउत्पादन से कहीं ज्यादा है।
मानसून की कमी के कारण इस वर्ष देश के कुछ हिस्सों में खरीफ की फसल बर्बाद हो गई, जिससे धान, मोटे अनाज, तिलहन, दलहन और कपास के उत्पादन में मामूली गिरावट दर्ज की गई कृषि औरकिसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने 29 दिसंबर को नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हालांकि रबी में गेहूं की उपज फसल वर्ष 201516 में 93.5 मिलियन टन रहने का अनुमानलगाया गया था जो पिछले वर्ष 86.53 मिलियन टन था और प्राप्ति निर्धारित लक्ष्य की तुलना में कम रहा आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए सरकार ने निजी अकाउंट में शून्य प्रतिशत कीड्यूटी पर गेहूं आयात की अनुमति देने का निर्णय लिया है।
सरकार ने किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा है कि वह सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए ज्यादा से ज्यादा खाद्यान की खरीद करेगी और गेहूं उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य, जो सरकार नेफसल वर्ष 2016-17 के लिए 1625 रूपया प्रति क्विंटल तय किया है, हेतु तेजी से बाजार में हस्तक्षेप भी करेगी।
इस तरीके से 2016 में कृषि के क्षेत्र में भी तेजी से डिजिटलीकरण का विकास हुआ है जिसके परिणामस्वरूप मोबाइल एप की शुरूआत की गई है। कृषि मंत्रालय ने मौसम की जानकारी, बाजार की कीमतोंऔर फसल रोगों की जानकारी देने के लिए “किसान सुविधा”एप का शुभारंभ किया; “पूसा कृषि” एप बीज की नई किस्मों और नवीनतम तकनीक की जानकारी उपलब्ध करा रहा है; “कृषि बाजार” एपकिसानों को 50 किलोमीटर के दायरे में मंडी की कीमतों के बारे में जानकारी देता है; “फसल बीमा” एप फसल बीमा से संबंधित सारी जानकारी देता है; फसल को काटने संबंधित जानकारी “क्रॉप कटिंगएक्सपेरिमेंट्स” एप के जरिए मिलती है। लाखों किसान इन सारे एप्स को डाउनलोड कर लाभान्वित हो रहे हैं।
इस वर्ष न सिर्फ किसानों के लिए बैंकिंग प्रणाली द्वारा कृषि क्षेत्र को ऋण देने की सीमा बढ़ाकर 9 लाख करोड़ की गई है बल्कि विमुद्रीकरण के बाद सरकार ने भुगतान के लिए कैशलेस लेन-देन और प्रत्यक्षलाभ अंतरण को प्रोत्साहित करने हेतु भी कई पहल की हैं। यदि ऐसा होता है तो मंडी संचालन में मीडिल मैन/कमीशन एजेंटों से किसानों को मुक्ति मिलेगी जिससे इन्हें अपनी फसल का न्यूनतम समर्थनमूल्य प्राप्त करने में सुविधा होगी जो इन सब किसानों के लिए बड़ा कदम होगा।
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