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अखिलेश ने पहना सपा अध्यक्ष का ताज- मुलायम को मार्गदर्शक तो शिवपाल सिंह बाहर

By ?????? ??? ?????? | Publish Date: Mon ,02 Jan 2017 04:01:23 am |


लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) में कल शांत होती लग रही लडाई आज निर्णायक मोड पर पहुंचकर नये युग में जाती दिखी. सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा असंवैधानिक घोषित किये गये पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पार्टी के अध्यक्ष के रुप में ताजपोशी कर दी गयी, वहीं झगड़े की जड़ माने जा रहे राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया. इधर इस फैसले  के खिलाफ शिवपाल यादव और मुलायम सिंह के समर्थक नारेबाजी कर रहे हैं. सपा कार्यालय के बाहर शिवपाल और मुलायम समर्थकों के जुटने से वहां सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. सपा कार्यालय के बाहर पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है.

पद से हटाये जाने के बाद शिवपाल यादव मुलायम सिंह से उनके आवास पर जाकर मिले. हालांकि अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि दोनों के बीच क्‍या बात हुई. पार्टी से निकाले जाने की खबर मिलते ही अमर सिंह अपने लंदन दौरे को बीच में ही छोड़कर दिल्‍ली लौट रहे हैं.

सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने राजधानी स्थित जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित अधिवेशन में तीन प्रस्ताव पेश किये. पहले पारित प्रस्ताव में सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री अखिलेश को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. मंच पर बैठे उन तमाम वरिष्ठ नेताओं ने हाथ उठाकर इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जो कभी मुलायम के बगलगीर थे साथ ही अखिलेश को यह अधिकार दिया गया कि वह सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और देश के सभी राज्यों के संगठनों को आवश्यकतानुसार गठित करें. रामगोपाल ने कहा कि इस प्रस्ताव की सूचना यथाशीघ्र निर्वाचन आयोग को उपलब्ध करा दी जाएगी. दूसरे प्रस्ताव के तहत सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को सपा का सर्वोच्च संरक्षक बनाया गया और कहा गया कि शीर्ष नेतृत्व उनसे मार्गदर्शन लेता रहेगा.

तीसरे प्रस्ताव के तहत शिवपाल सिंह यादव को सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से तत्काल हटाया गया और पार्टी महासचिव अमर सिंह को सपा से तत्काल बर्खास्त कर दिया गया. ये तीनों प्रस्ताव हाथ उठवाकर पारित किये गये.

* भावुक हुए अखिलेश

 

अधिवेशन में मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव एक बार फिर से भावुक को गये. अखिलेश ने कहा कि नेताजी का जो स्थान है वह सबसे ऊपर है. उन्हें डर था कि चुनाव से ऐन पहले ना जाने कौन मिलकर उनसे (मुलायम) क्या करा देता.‘‘मेरे पास परसों एक संदेश आया, जब पत्र खोला तो मुझे नोटिस मिला था और 10-15 मिनट बाद पता लगा कि मुझे और रामगोपाल जी को पार्टी से निकाल दिया गया. मैं अपने विधायकों समर्थकों को धन्यवाद देता हूं. मुझे पार्टी के लिये कोई भी त्याग करना होगा तो मैं करुंगा.' उन्होंने कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए आह्वान किया कि आने वाले दो-ढाई महीने बहुत महत्वपूर्ण हैं. प्रदेश में एक ऐसी धर्मनिरपेक्ष सरकार बनानी है, जो प्रदेश को खुशहाली के रास्ते पर ले जा सके.

 

* पानी सिर से ऊपर निकल गया था, इसलिए बुलाई गयी थी अधिवेशन : रामगोपाल

 

इसके पूर्व, रामगोपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह पार्टी का आपातकालीन अधिवेशन है. आप सब जानते हैं कि पार्टी और सरकार का काम बहुत ठीक तरीके से चल रहा था और उसी दौरान पार्टी के दो व्यक्तियों ने साजिश करके अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवा दिया और पार्टी में एक संकट पैदा हो गया.

 

उन्होंने कहा कि पार्टी में टिकटों का बंटवारा मनमाने ढंग से होने लगा था. बहुत से लोगों को पार्टी से निष्कासित किया गया. प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेश को नहीं माना और किसी का भी निष्कासन वापस नहीं लिया. प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से मनमाने असंवैधानिक फैसले लेते रहे. जो लोग पार्टी के सदस्य भी नहीं है, उन्हें टिकट दिये गये. साफ था कि ये लोग किसी भी कीमत पर नहीं चाहते थे, सपा चुनाव जीते और अखिलेश फिर मुख्यमंत्री बनें.

 

रामगोपाल ने कहा कि पानी जब सिर से ऊपर निकल गया तब पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने विशेष अधिवेशन बुलाने की मांग लिखकर दी थी. हमने दो महीने तक सुधार का इंतजार किया. तब यह निर्णय लिया गया कि पार्टी का विशेष आपातकालीन अधिवेशन बुलाया जाए.

* मुलायम सिंह ने अधिवेशन में शामिल नहीं होने के लिए जारी की चिट्ठी

सपा मुखिया मुलायम सिंह ने मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से बुलायी गई पार्टी अधिवेशन को असंवैधानिक करार दिया है और संम्‍मेलन में नेताओं को शामिल नहीं होने के लिए चिट्ठी जारी किया है. मुलायम ने अपने चिट्ठी में लिखा, यह आयोजन पूरी तरह से पार्टी  संविधान के विरुद्ध है तथा पार्टी अनुशासन के विपरीत और पार्टी को क्षति पहुंचाने के उद्देश्‍य से किया गया है. 

मुलायम ने अपनी चिट्ठी में लिखा, आपको अवगत कराया जा रहा है कि ऐसे किसी सम्‍मेलन में भाग लेना या इससे संबंधित किसी प्रस्‍ताव या प्रपत्र पर हस्‍ताक्षर करना पार्टी हित के विरूद्ध व अनुशासनहीन माना जाएगा और ऐसा करने वालों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी.



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