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By समाचार नाउ ब्यूरो | Publish Date: Wed ,09 Nov 2016 02:11:09 pm |
समाचार नाउ ब्यूरो रांची : कैबिनेट ने झारखंड में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों के लिए अंतिम सर्वे के खतियान की बाध्यता समाप्त करने का फैसला किया है. कैबिनेट ने अधिसूचना संख्या 3389, दिनांक 22.09.2001, संकल्प संख्या 4536, दिनांक 08.08.2002 और 4737 दिनांक 19.08.2002 को रद्द करने का फैसला किया.
इन संकल्पों में स्थानीय के रूप में उसी को माना गया था, जिसका नाम अंतिम सर्वे के खतियान में दर्ज हो. कैबिनेट ने गैर अनुसूचित क्षेत्र में तृतीय व चतुर्थ वर्गीय पदों की नौकरी में बराबरी की स्थिति होने पर स्थानीय को प्राथमिकता देने का फैसला किया है. ये दोनों फैसले हाइकोर्ट के दिशा-निर्देश के आलोक में किये गये.
कैबिनेट ने इससे पहले अनुसूचित क्षेत्र में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय लोगों को 100% आरक्षण देने का फैसला किया था. अनुसूचित क्षेत्रों में 100% आरक्षण की अवधि 10 साल तय की गयी है. इसके तहत अनुसूचित क्षेत्र के 13 जिलों में तृतीय व चतुर्थ वर्ग के पदों पर दूसरे जिले या अन्य राज्य के व्यक्तियों की नियुक्ति संभव नहीं है. गैर अनुसूचित जिलों में भी आरक्षित पदों पर अन्य राज्य के निवासियों की नियुक्ति संभव नहीं है. हालांकि, गैर अनुसूचित क्षेत्र में अनारक्षित वर्ग की नियुक्तियों पर स्थानीय का दावा हो सकता है. ऐसी स्थिति में यदि स्थानीय व्यक्ति व दूसरे जिले या राज्य के व्यक्ति को मेरिट सहित अन्य सभी मामलों में बराबर अंक मिलते हैं, तो प्राथमिकता के आधार पर संबंधित पद पर स्थानीय व्यक्ति का चयन किया जायेगा. हाइकोर्ट द्वारा रिट संख्या 450/2002 और 3912/2002 में दिये गये निर्देश के आलोक में कैबिनेट ने गैर अनुसूचित क्षेत्र के अनारक्षित वर्ग में प्राथमिकता के लिए तीन आधार तय किये हैं. तृतीय और चतुर्थ वर्ग की जिला स्तरीय नौकरी में जिला के स्थानीय निवासी ही चयन के पात्र होंगे. प्रमंडलीय स्तर पर नियुक्ति के दौरान संबंधित प्रमंडल के स्थानीय निवासी चयन के पात्र होंगे. तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की राज्य स्तरीय नियुक्ति के दौरान झारखंड के स्थानीय निवासियों को चयन में प्राथमिकता दी जायेगी.
महत्वपूर्ण फैसले
इको-टूरिज्म अथॉरिटी के गठन की स्वीकृति
सेवानिवृत्त न्यायाधीश लोकनाथ प्रसाद को तीन साल के लिए अवधि विस्तार
14 डाटा एनालिस्ट के पद को सरेंडर करते हुए सहायक प्रोग्रामर के पद के सृजन की स्वीकृति
पॉलिटेक्निक के प्राचार्य को पांच लाख तक की वित्तीय व प्रशासनिक शक्ति हस्तांतरित
राज्य औषधि प्रयोगशाला के सत्येंद्र सिन्हा को एक साल के लिए अवधि विस्तार
डॉ राहुल की सेवा नियमित करने पर घटनोत्तर स्वीकृति
20014-15 में स्थापित 250 डेयरी विकास केंद्रों के लिए 2016-17 में 4.73 करोड़ रुपये खर्च की स्वीकृति
उच्च शिक्षा विभाग में एचपी के साथ किये गये एकरारनामे में एचपी इंटरप्राइजेज इंडिया का नाम बदल कर एचपी ग्लोबल सॉफ्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड करने पर सहमति
निजी नियोजन अभिकरण व घरेलू कामगार विनियमन विधेयक प्रारूप को स्वीकृति
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