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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:14:00:05 PM / Sat, Aug 13th, 2016 |
नई दिल्ली। रियो ओलिंपिक शुरू हुए 7 दिन हो गए, लेकिन अब हर गुजरते दिन के साथ भारतीय दल में निराशा गहराती जा रही है। तीरंदाजी, शूटिंग, टेबल टेनिस, वेटलिफ्टिंग, जूडो, महिला हॉकी और बैडमिंटन के मिक्स्ड डबल्स मुकाबले में पदक की उम्मीद खत्म हो गई है। अब देखना ये है कि क्या भारतीय दल लंदन ओलंपिक में जीते 6 मेडल के रिकॉर्ड को कायम रख पाता है?
ओलंपिक का पहला सप्ताह खत्म हो गया, लेकिन अब तक रियो से भारतीयों के लिए कोई भी खुशखबरी नहीं आई। ओलंपिक के पहले सप्ताह में जहां फिजी और कोसोवो जैसे छोटे देश और पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रही रिफ्यूजी टीम ने भी गोल्ड जीत लिया। वहीं दूसरी सबसे ज्यादा आबादी और दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश भारत पदक तालिका में अबतक नाम भी दर्ज नहीं करा पाया है।
रियो में सातवें दिन भी भारत का फ्लॉप शो जारी रहा है। अतानु दास के बाहर होने से जहां तीरंदाजी में भारतीय चुनौती समाप्त हो गई। वहीं शूटिंग में गगन नारंग और चैन सिंह ने एक बार फिर निराश किया। महिला शटलर ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा, और पुरूष डबल्स में रेड्डी और अत्री की जोड़ी भी अपना दूसरा डबल्स मैच हारकर पदक की दौड़ से बाहर हो गए। भारतीय एथलीट ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में भी खाली हाथ रहे।
ओलंपिक का पहला सप्ताह भले ही भारत के लिए खुशी लेकर नहीं आया हो, लेकिन दूसरे और आखिरी सप्ताह में टेनिस के मिक्स्ड डबल्स में सानिया-बोपन्ना सेमीफाइनल में पहुंचकर पदक से बस एक कदम दूर हैं। बॉक्सिंग में विकास कृष्ण भी टर्की के विरोधी को हराकर क्वार्टरफाइनल में पहुंच गए और पदक से एक कदम दूर हैं।
बैडमिंटन के महिला सिंगल्स में सायना नेहवाल, कुश्ती में लंदन के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट रहे योगेश्वर दत्त और विवादों के बाद रियो पहुंचे नरसिंह यादव, 36 साल बाद क्वार्टफाइनल में पहुंची पुरूष हॉकी टीम से भी पदक की उम्मीदें कायम हैं।
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