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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:15:24:16 PM / Sat, Jun 25th, 2016 |
नयी दिल्ली : भारत की तरफ से व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले 12 खिलाडियों में से एक लिएंडर पेस ने कहा कि 1996 अटलांटा खेलों के दौरान सेंटिनियल पार्क बम विस्फोट से बचने के बाद वह पदक जीतने के लिए अधिक प्रतिबद्ध हो गये थे. खेल पत्रकार दिग्विजय सिंह देव और अमित बोस की किताब ‘माई ओलंपिक जर्नी' में पेस ने उस समय का जिक्र किया है जब उन्हें उस दिन खेल गांव में फिर से प्रवेश करने के लिये जूझना पडा था.
रियो में अपने रिकार्ड सातवें ओलंपिक में भाग लेने की तैयारियों में जुटे इस दिग्गज ने याद किया कि किस तरह से उन्हें अंदर घुसने के लिए सुरक्षा अधिकारियों के आगे हाथ पांव जोडने पडे थे. पेस ने कहा, ‘‘मेरे माता पिता, मेरी टीम और मैं तब पार्क के अंदर थे जब यह हुआ. हम 30 . 40 फुट दूर थे और धमाकों से हम भी अंदर तक कांप गये थे. हमारे आसपास कुर्सियां और मेज बिखरी थी और मेरे कान बज रहे थे. अगले 24 घंटे तक मुझे सुनने में दिक्कत महसूस हुई.
'' उन्होंने बताया, ‘‘जब मैं खेल गांव के प्रवेश द्वार पर गया तो गेट बंद था. मैंने सुरक्षाकर्मियों से आग्रह किया कि वह मुझे अंदर जाने दे. मैंने उसे अपनी पहचान बतायी. मैंने उससे कहा कि मेरे माता पिता घर चले गये हैं और सार्वजनिक परिवहन भी बंद हो गया है. मैं कहीं नहीं जा सकता हूं. लेकिन सुरक्षाकर्मी किसी को भी अंदर नहीं घुसने देने के आदेशों का पालन कर रहे थे. उन्होंने मुझसे कहा कि कोई दूसरा द्वार ढूंढो जो हो सकता है कि खुला हो.
'' पेस ने कहा, ‘‘मैं दौड लगाकर दूसरे गेट तक गया. मैं अगले 20 मिनट तक एक गेट से दूसरे गेट तक दौडता रहा और शायद पांचवें गेट पर मैंने सुरक्षाकर्मी के सामने हाथ पांव जोडे. मैंने उसे बताया कि जब बम विस्फोट हुआ तो मैं पार्क में था। वह काफी विनम्र था और उसने एक ओलंपिक खिलाडी को अंदर जाने देने के लिए दिमाग से काम लिया.
पेस ने कहा, ‘‘मैं अपने अपार्टमेंट के ब्लॉक में पहुंचा. मैं बहुत भाग्यशाली था जो उस दिन सेंटिनियल पार्क से बच कर निकल गया था और मैं जानता था कि ईश्वर ने हमेशा की तरह मुझ पर अपनी कृपा दिखायी थी. इस घटना ने मुझे अधिक प्रतिबद्ध बना दिया था. असल में मेरे अंदर विश्वास जागा कि मैं सेमीफाइनल में आंद्रे अगासी को हरा सकता हूं. '' पेस सेमीफाइनल में अमेरिकी दिग्गज से हार गये थे लेकिन कांस्य पदक के लिए खेले गये मैच में उन्होंने फर्नांडो मेलिगनी को हराया और इस तरह से 1952 के बाद व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले दूसरे खिलाडी बने.
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