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हमारे परिवार ने सबसे अधिक झेला है बंटवारे का दंश: पीडी सखूजा

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:16:23:02 PM / Tue, Aug 16th, 2016 |


रांची : रोटरी क्लब के वरिष्ठ सदस्य व ऑल इंडिया मोटर डीलर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पीडी सखूजा को स्वतंत्रता दिवस का दिन परिवार के बंटवारे को लेकर कचोटता है. 85 ‌वर्षीय श्री सखूजा रांची में रहते हैं. उनका कहना है कि 15 अगस्त 1947 को रूड़की छावनी में सुबह से ही वे अपने साथियों के साथ थे. उस समय छावनी परिसर में रेडियो के जरिये देश की आजादी की खबरें आ रही थीं. छावनी परिसर में सरकारी अफसर फरीद अफजल कादरी ने खुली जगह पर झंडा फहराया था और देश की गुलामी से लेकर स्वतंत्रता तक की कहानी सुनायी थी. वहीं दूसरी ओर रेडियो पर यह भी खबर आयी कि पाकिस्तान में दंगा हो गया है, वहां से कई लोग भारत भेजे जा रहे हैं. 

 

रावलपिंडी में जन्मे श्री सखूजा सितंबर 1939 में भारत आये थे. उनके पिता सेना के ठेकेदार थे. उनके परिवार के कई सदस्य पाकिस्तान में ही रह गये.  उनकी कोई सूचना नहीं मिल पा रही थी. पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित साल्ट रेंज में परिवार के कई सदस्य रहते थे. देश की आजादी के समय हुए दंगा में पुरुष सदस्य बुरी तरह प्रभावित हुए थे. 

 

जब यह खबर आयी कि रूड़की से भी पाकिस्तान के लिए जो मुसलिम जाना चाहते हैं, वे रूड़की के बंगाल सेपर्स एंड माइनर्स सेंटर (अब इंजीनियरिंग कोर) परिसर में लगी ट्रेन से जा सकते हैं. उनकी परिवार के लोगों की स्थिति जानने की इच्छा तीव्र हो गयी. यही स्थिति पाकिस्तान में भी थी. यह पता नहीं चल रहा था कि परिवार के सदस्य कहां हैं. बाद में यह पता चला कि परिवार के आधा दर्जन सदस्य पाकिस्तान से भारत आने के क्रम में रास्ते में हुई हिंसा में काल कलवित हो गये. वे कहते हैं कि पांच बहन और दो भाई के परिवार में से कई सदस्यों के जीवित नहीं रहने की बात आज भी कचोटती है.

 

उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश में पंडित गोविंद वल्लभ पंत का शासन था. उनके शासनकाल में एक भी लोग उस समय की हिंसा में नहीं मारे गये थे. 15 अगस्त को दिन भर वे लोग रेडियो पर ही जमे रहे थे. उस समय गुरु जगदीश नारायण सिन्हा के नेतृत्व में कई दिनों तक सेवा कार्य भी किया. उनके अनुसार, पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री नवाबजादे लियाकत अली खान मुजफ्फरनगर के रहनेवाले थे. उनका विवाह भी एक पंजाबी परिवार में हुआ था. उनकी हिंदुस्तान के प्रति दिलचस्पी भी अधिक थी. उनका कहना है कि परिवार में बच्चों ने इंग्लैंड, अमेरिका सहित अन्य जगह घुमाया. दोस्तों ने अंगरेजी का ज्ञान नहीं होने पर भी मदद की.



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